Hindi Quote in Poem by Ridj

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रात सपनों में ढली थी,
रात सपनों में पली थी,
हो गया जब प्रात देखा:
रात सपनों ने छली थी,
हो गई जिससे उनींदी रात सारी,
स्वप्न वह भी रह गया आखिर अधूरा!

स्वप्न जो था स्वप्न ही है,
स्वप्न ही वह चिर रहेगा,
विवश मानव मूक स्वर में,
युग-युगों तक यह कहेगा:
हो गई जिससे उनींदी रात सारी,
स्वप्न वह भी रह गया आखिर अधूरा!

रैन भी है चिर उनींदी,
हैं नयन भी चिर उनींदे!
ये विकल से कह रहे
अरमान युग-युग के उनींदे:
हो गई जिससे उनींदी रात सारी,
स्वप्न वह भी रह गया आखिर अधूરા

Hindi Poem by Ridj : 111547329
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