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🌹🌹आँखें तुम्हारी🌹🌹
1.🌿
आँखों की ये तितलियाँ,
जैसे गिरा रही हों बिजलियाँ।
तुम्हारी आँखों में लगा, उफ्फ ये काजल,
जैसे कोई झूमता हुआ बावरा बादल।।
2.🌿
है इनमें एक हल्का नशा,
कुछ-कुछ खुमारी भी है।
कहना चाहती हैं बहुत कुछ,
पर इनमें लाचारी भी है।।
छुपाए कितने ही राज़ गहरे, आँखें तुम्हारी।
यूँ ही सब कुछ कह देती हैं, आँखें तुम्हारी।।
3.🌿
फैली इंद्रधनुष सी, इठलाती,
बलखाती सी सोख रंगीन निगाहें।
कभी बारिश की बूंदों की
सरगम सी छमा-छम करती निगाहें।।
4.🌿
तुम्हारी आँखें ऐसे ही तो मुस्कुराती हैं।
जैसे मंद-मंद बयार से फूलों की क्यारी,
जैसे शान्त बहती गंगा की लहर निराली,
जैसे बसन्त आने पर प्रकृतिक छटा निराली,
जैसे हर उपवन की में छाई हरियाली।
5.🌿
जब तुम्हारी आँखें इतनी खूबसूरत हैं
तो मन तुम्हारा कैसा होगा?
शीशे जैसा साफ होगा,
गुलाब की खुशबू सा होगा,
गंगा-जमुना के जल-सा पवित्र होगा।।
6.🌿
झील अच्छी या कमल अच्छा के 'जाम' अच्छा है,
तेरी आँखों के लिए कौन-सा 'नाम' अच्छा है।
मैं सोचता ही रह गया, इन मासूम सी
आँखों के लिए कौन-सा 'उपमान' अच्छा है।।
✍️ परमानन्द 'प्रेम' NHR 💞
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