अब किसी और के साथ वो अपने सपने सजा रही होगी कोई और होगा जिसे वो अपना बता रही होगी आज फिर वो बारिश हुई होगी फिर परदे लगाकर मथा चूमने की गुजारिश हुई होगी उसके हाथ को मेरा हाथ समझ बैठी होगी उसके छूने को मेरे जज़्बात समझ बैठी होगी मेरे होने के ऐहसास को उसने अपने जहेंन में उतार लिया होगा, गलती से उसको मेरे नाम से पुकार लिया होगा ।