दुखों के काले घने बादलों से विचारों की प्रचंड बारिश क्या हुईं, मेरे मन को झकझोर के तितर-बितर कर सब मलिनता बहार फेंक निकाल दी। फिर मन की अद्भूत प्रचंड शांति मुझे आत्मा की शुद्धि की ओर निकल ले चली। जो मन खोजा आप में मुझसे बुरा न मिलीया कोई ऐ सच्चाई पाई॥!!!