# होठ "
# कविता ***
अनकही बात होठो ,से कह दूँ जरा ।
आ पास मेरे ,होठो से लगा लूँ जरा ।।
तेरे फडफडाते होठ ,कुछ कहना चाहते ।
मेरे दिल की धडकन ,उन पर सजा लूँ जरा ।।
आ तेरे होठ की ,मिठास ले लूँ जरा ।
तुझे हुस्न की रानी ,कह लूँ जरा ।।
तेरे लब पर मेरा ,ही नाम रहे ।
तेरे लब सदा ,मेरे दिल के तराने गाते रहे ।।
खुदा ही हसीन तौहफें ,को निहार लूँ जरा ।
आ तेरे होठ ,जरा सजा लूँ जरा ।।