न संदेश कोई,
न ही पैग़ाम आया
जो सरहद पर था
कल जिक्र में
उसका नाम आया ।
किसको आखिर किससे कहूं
की ये बूढ़ी आंखें
सारी रात जागी है
सुबक सुबक कर
सारी रात काटी है
की चैन की नींद इस घर में
कोई नहीं सोता है
फफक कर कोई है जो
सारी रात रोता है
कैसे संभालूं इस दिल को और
इन आंखों को जो
रह रह कर बरसता है।
तेरी मोहब्बत में जो
जोरों से धड़कता है
की तेरे बगैर ये आंगन सुनी
और घर में हर वक़्त नमी सी है
हां मेरे बच्चे तेरे बिन
कुछ #कमी सी है ।
कुछ #कमी सी है ।।
#कमी
#matrubharti
#Arjuna Bunty