मानवीय अधिकार जताने को
स्वंय में मानवीय गुण होना चाहिए
अधिकारों की बात करने के लिए
कर्त्तव्य पालना होनी चाहिए
अधिकारों की वकालत करने वालों
जरा अपने अंतर्मन में झांको
तुमने स्वंय किसको
कितना दिया अधिकार
तुमको ये पता होना चाहिए
यदि चाहते हो बदलाव एक सुखद
तो पहल खुद से करनी चाहिए
करो निर्वहन पूरी लगन से
अपनों के प्रति अपने कर्मों का
फिर दूसरों को भी इसके लिए
प्रेरित करना चाहिए
इस तरह जोड़ कर कड़ी दर कड़ी
कर्तव्य पालना की
एक जंजीर बनना चाहिए।।
-Sakhi