My Romantic Poem...!!
बस एक मुलाक़ात क्या हुई
निगरानी में सारा शहर लग गया
आँखों से आँखें 👀 चार क्या
हूई,दिल 💔 अपना हाथों से गया
दिन का चैन व रातों की नींद
दिल का सुकुँ-ओ-करार भी गया
इन्सान वो अब इन्सान ना रहा
दिवानगीं की सभी हदों के पार गया
क्या रखा है रब ने मोहब्बत में
रब ही जानें जो भी गया जान से गया
हीर का रांझा लैला का मजनूँ
या हो सीरीँ का फराँह काम से गया
ग़र ना होतीं मोहब्बत कैसे होती
बागों में बहारें,कैसे बदलतीं मौसमें
प्रभु की बनी ये सबसे हसीन दौलत
से नस्लों का सिलसिला चलता गया
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