My Wonderful Poem..!!!
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काजल लागे किरकिरी।
अँख-सुरमा सहा ना जाएँ।
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जिन नैनं में कान्हा बसे हो।
फिर दूजा कौन समाएँ।
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प्रीत ना कीजिए पँछी जैसे।
तनिक जल सूखे उड़ जाएँ।
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प्रीत तो कीजिये मछली जैसी।
प्रीत दिवानी जल सूखे मर जाएँ।
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प्रेम-सागर गागर महीं समाएँ।
नयनन-कूकीं राई-सी,जहाँ समाएँ।
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