बस अपने स्वार्थ हेतु तु रखता है रिश्ता तु मनवा, कौन अपना कौन पराया ,तुझे तो है अपने मतलब से ही नाता, कैसी प्रीती कैसी रीती, अक्कड है तु ईतना, कर्म ही तेरे कहते है तुजसे, ओ मतलबी तेरा नही यहा है कोई ।। मतलबी से लगाव केसा, केसी लगनी कैसी प्रीत, तेरा तो है पैसा परमेश्वर पैसा ही है सबकुछ, रिश्ते नाते केसे समजेगा मती तेरी है भ्रष्ट, रहने दे तु प्यार की बाते ,ये नही तेरे बसकी बाते, जरा सोचा तुने ये कभी, कितने तोडे रिश्ते नाते, कितने तोडे दील, आखिर मे पछतायेगा तु जब साथ न देगा शरीर। । भहुत है धमंड तुझको अपनेपे, जरा खोलके आखोसे पट्टी, देख एक नजर जहा से, तुजसे बेहतर कीतने यहा तेरा ना आवे कुछ।।
#कर्मा