#रवि -इन्दू #शीतल
रवि,
दिल एक देहि मे मांस का वो गूदा है
जो देहि के जलने पर भी बच जाता है,
उसके अंदर जो उसकी आखरी कोर है,
उस कोर का जो आखरी बिंदु होता है,
तुम वहां से शुरू होते हो और उसकी
सतह की जो पहली परत है, वहां तक हो.
मैं जब मर जाऊं, तो देखना मेरे दिल की
बेकदरी न हो, क्योंकि उसमे तुम हो और
तुम्हारा प्यार भरा है, वादा करो कि जब
मैं पूरी जल जाऊं और उस रात जब मेरे
पास कोई न हो, तुम वहाँ आना और उस
दिल को उठा लाना. अब ज्यादा बड़ा नहीं
बचा, तुम्हारे जाने के बाद सूख सा गया था,
सिकुड़ गया था. जैसे चंपा के पेड़ का पत्ता,
ज़मीन पर गिर जाने के बाद बेजान सा,
सिकुड़ जाता है. तुम उसकी तह लगा के
अपनी कमीज की उस जेब मे रख लेना
जिधऱ दिल होता है. और एक वसीहत
लिखना कि तुम्हारे मरने के बाद तुम्हारे
दिल को जब वो गंगा मे बहाएंगे तो उसे
मेरे उस दिल मे लपेट देंगे, जिससे अगली
दफा हम दोनों एक ही जिस्म में साथ धड़कें
एक धक् तुम्हारी, एक धक् मेरी, धक्-धक्,
धक्-धक्, धक्-धक्, धक् धक्, धक् धक्
तब मैं मुक्त हो जाउंगी, और जीती जाउंगी
जीती जाउंगी, जब तक ये दुनिया रहेगी
तब तक तुम्हारे साथ ही जीती जाउंगी
जीती जाउंगी और इस दुनिया के बाद भी
धक्-धक्, धक्-धक्, धक्-धक्, धक् धक्........
तुम्हारी इन्दू