[शुभ शुक्रवार वंदन आरती मां दुर्गा
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर
वाली।
तेरे ही गुण गायें भारती, ओ मैया हम सब
उतारें तेरी आरती ||
तेरे भक्त जनों पे माता, भीर पड़ी है भारी |
दानव दल पर टूट पडो माँ, करके सिंह
सवारी ||
सौ सौ सिंहों से तु बलशाली, दस भुजाओं
वाली।
दुखियों के दुखडें निवारती, ओ मैया हम सब
उतारें तेरी आरती ||
माँ बेटे का है इस जग में, बडा ही निर्मल
नाता|
पूत कपूत सूने हैं पर, माता ना सुनी कुमाता
॥
सब पर करुणा दरसाने वाली, अमृत बरसाने
वाली।
दुखियों के दुखडे निवारती, ओ मैया हम सब
उतारें तेरी आरती ||
नहीं मांगते धन और दौलत, न चाँदी न सोना
|
हम तो मांगे माँ तेरे मन में, इक छोटा सा ;
कोना||
सबकी बिगडी बनाने वाली, लाज बचाने
वाली।
सतियों के सत को संवारती, ओ मैया हम
सब उतारें तेरी आरती ||
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर :
वाली।
तेरे ही गुण गायें भारती, ओ मैया हम सब
उतारें तेरी आरती||
ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़
लक्ष्मी ]
[ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी
माता।
तुमको निशदिन सेवत, हर विष्णु विधाता
|| ॐ जय... ||
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही हो जग-माता
।
सूर्य चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥
ॐ जय... ||
दुर्गा रुप निरंजनि, सुख-सम्पत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन
पाता ॥ ॐ जय... ||
तुम ही पाताल बसंती, तुम ही शुभदाता ।
कर्म प्रभाव प्रकाशिनि, भवनिधि की त्राता
॥ ॐ जय... ||
ब जिस घर में तुम रहती, सब सद्गुण आता
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता ॥
ॐ जय... ॥
तुम बिन यज्ञ न होवे, वस्त्र न कोई पाता ।
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥
ॐ जय... ||
शुभ-गुण मंदिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ॥
ॐ जय... ||
श्री महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई नर
गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता ॥
ॐ जय... ||
ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़
मां सरस्वती]
[आरती सरस्वती माता की
कज्जल पुरित लोचन भारे स्तन युग शोभित
मुक्त हारे,
वीणा पुस्तक रंजित हस्ते भगवती भारती
देवी नमस्ते ॥
जय सरस्वती माता जय जय हे सरस्वती
माता,
सदगुण वैभव शालिनी त्रिभुवन विख्याता ॥
जय सरस्वती माता ॥
चंद्रवदनि पदमासिनी घुति मंगलकारी,
सोहें शुभ हंस सवारी अतुल तेजधारी ॥
जय सरस्वती माता ॥
बाय कर में वीणा दायें कर में माला,
शीश मुकुट मणी सोहें गल मोतियन माला
॥
जय सरस्वती माता ॥
देवी शरण जो आयें उनका उद्धार किया,
पैठी मंथरा दासी रावण संहार किया ॥
जय सरस्वती माता ॥
विद्या ज्ञान प्रदायिनी ज्ञान प्रकाश भरो,
उमोह और अज्ञान तिमिर का जग से नाश
करो ॥
जय सरस्वती माता ॥
धुप दिप फल मेवा माँ स्वीकार करो,
ज्ञानचक्षु दे माता भव से उद्धार करो ॥
जय सरस्वती माता ॥
माँ सरस्वती जी की आरती जो कोई नर
गावें,
हितकारी सुखकारी ग्यान भक्ती पावें ॥
जय सरस्वती माता ॥
जय सरस्वती माता जय जय हे सरस्वती
माता,
सदगुण वैभव शालिनी त्रिभुवन विख्याता॥
जय सरस्वती माता ॥
ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़