जब कोई हर तरफ से मात खाता है।
जब कोई दिल पर हर बार घात खाता है,
जब आंसुओं का सैलाब आंखों से फुट जाता है।
तब ऐसा इश्क सिर्फ रूला के चला जाता है।
जब साथ देने को कोई पास ना होता है।
जब भरी महफिल में भी कोई खुद को तन्हां पाता है।
तब ऐसा इश्क सिर्फ रूला के चला जाता है।।
साहिबा सिंह।।।