# कविता ***
# विषय .बादल "
हे बादल तू ऐसी बारिश कर ,
दिलों की नफरतें सारी धुल जाए ।
प्यार की बारिश में भीग कर ,
मन सबका खिलखिल जाए ।।
प्रेम की बारीश में सब ,
राग द्वेष सब अपने आप भुल जाए ।।
तेरी शीतल हवा में ,
भाईचारे की महक फैल जाए ।
यहाँ कोई पराया न हो ,
सब स्नेह की बारिश में नाच उठे ।।
यहाँ चारोंओर मानवता ,
के हसीन फूल खिल जाए ।
सबका मन परोपकार के ,
वृक्षों को लगा कर हराभरा हो जाए ।।
भेदभाव की कलुषित भावना ,
तेरी बारिश से धुल जाए ।
धरती पर मानवता के ,
अंकुरीत हो जाए ।।
धरती स्वर्ग जैसी ,
खुशियों से महक जाए ।
हंसी सबके चेहरो पर ,
सदा महक जाए ।।
बृजमोहन रणा ( बृजेश ) ,कश्यप ,कवि ,वागड़ अंचल ,हाल .अमदाबाद ,गुजरात ।