Great poem written by Great poet🙏🙏
अकेलेपन का बल पहचान
शब्द कहाँ जो तुझको टोके
हाथ कहाँ जो तुझको रोके
राह वही है, दिशा वही है, तू करे जिधर प्रस्थान
अकेलेपन का बल पहचान ।
जब तू चाहे तब मुसकाए,
जब चाहे तब अश्रु बहाए,
राग वही तू जिसमें गाना चाहे अपना गान ।
अकेलेपन का बल पहचान ।
तन-मन अपना, जीवन अपना,
अपना ही जीवन का सपना,
जहां और जब चाहे कर दे तू सब कुछ बलिदान ।
अकेलेपन का बल पहचान ।
~ हरिवंश राय बच्चन