कुछ लज़ीज़ , अल्फ़ाज़ के सिवा क्या दुं,
जजबाती उफान दिलमे, और मैं क्या दुं;
बहुत गहरा है, ताल्लुक , रूहानी जिंदगी,
मेरे दिलसे दुआएं निकले,और मैं क्या दुं;
सब के लबों पर चाहता हुं खुशी की झलक
आईना ए दिल नूरानी नज़र और मैं क्या दुं;
ग़म ए जिंदगी होती है पतझड़ की तरह ही
खुशनुमा बसंत ए बहार हुं,और मैं क्या दुं;
दिल ए यार चाहत ही ,राहत रुहानी जिंदगी,
मौज मस्ती फकीरी हाल हुं, और मैं क्या दुं;