#आज की प्रतियोगिता "
# विषय .संकट "
# कविता ***
अनचाहा संकट ,बिन बुलाये आता ।
अपने साथ अपार ,दुःखदर्द लाता ।।
मानव के सभी ,हौसले उठाता ।
उसकी हस्ती का ,उसे भान कराता ।।
मानव तो सदा ,हवा में उड़ता ।
अपने आगे किसी ,को कुछ नहीं समझता ।।
गरीबों पर सदा ,अत्याचार करता ।
पाप की कमाई ,बहुत ही जोड़ता ।।
वह किसी से ,भयभीत न होता ।
पर एक कोरोना ,उसे पत्ते की भांति हिला देता ।।
उसके अस्तित्व ,का मान कराता ।
फिर भी मानव ,कभी नहीं संभलता ।।
सदा अपने गुमान ,में ही रहता ।
संकट उसे सर्वनाश ,की ओर ले जाता ।।
बृजमोहन रणा ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।