प्रेम मे निषेध है उग्रता का विस् होना,
सत्य मे निसिद्ध है इच्छा, विषय होना,
कृष्ण प्रेम लक्छ्य है तो शून्यता अनिवार्य है,
यह प्रेम यदि उग्र है तो, प्रेमी निशांत है,
प्रमेय नहीं शीतल, ये सत्य, प्रेम, कृष्ण हैँ,
न आदि न अंत हैँ ये, कृष्ण हैँ ये, कृष्ण हैँ,
नितांत हैँ, अनंत हैँ ये, कृष्ण हैँ ये, कृष्ण हैँ.
जय श्री कृष्णा
#निषेध