लंबे वक्त तक बात नहीं करने से हमारे बीच में काफी जगह हमेशा से खाली रहीं है। प्रेम, वियोग, अतीत में हुई गलतियां यह सभी खाली जगह महीनों बाद दोनों अपने किसी निजी संवादों से इसे भरने की कोशिश करते हैं। उस वक्त लगता है मानों उस संबध को पुरानी घड़ी की तरह किसी ने झंझोड़ दिया होगा, जिससे वह फिर चलने लगी है l दोनों के संवाद अतीत के "था" शब्दों को वर्तमान के "हाँ" में बदल देता है। दोनों के बीच कब सारी जगह संवादों से भर जाती है। इसका आंकलन नहीं किया जा सकता। एक दिन का संवाद महीनों की खाली पड़ी हुई जगह भर देता है। हमेशा कोशिश करता हूं वह संवाद मेरे वर्तमान में बना रहें। लेकिन हर बार वह खेल बनकर रह जाता है। जब संवाद अतीत से होकर उन गलतियों के बीच पहुंचता है, जिसे वर्तमान में ठीक नहीं किया जा सकता। तब वह संवाद अपने अंतिम समय में होता है। वह खेल हारने के बाद भी मैं उस खेल में बना रहता हूं। खुद को कोसता हूं। महीनों तक संवाद नहीं होने से खाली जगह पर एंकात ने अपना घर बना लिया था। जब दोनों के निजी संवाद उस जगह को भरने लगते है, तब जीवन का सारा एकांत भंग हो जाता है। शायद एकांत ने मुझे बिना कहें आत्महत्या का फैसल लिया होगा. मैं हमेशा से छुटे हुए संबधों के शक्ल के व्यक्ति को एकांत कहता हूं। लेकिन कभी उन शक्ल के व्यक्ति को अपने एकांत में लाना नहीं चाहता था. खैर..🌸♥️