"यदि संतान को किसी
"मकान"कि संज्ञा दी जाय,
तो माता उसकी "नींव"
और पिता उसकी "छत"है।
सबसे मध्य में होता है संस्कार रूपी "आंगन" जिसके इर्द - गिर्द खड़ी दीवारों का काम, परिवारजन एवं मित्रजन करते हैं,
जिससे उस "मकान" रूपी संतान की सुरक्षा एवं आयु सुनिश्चित मानी जाती है।
इनमें से किसी भी एक भाग का ना होना प्रदर्शित करता है,
उस मकान की अपूर्णता को।"
..रॉयल..