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महाकाल की...
ब्रह्मदत्त त्यागी
श्री शिव जी की आरती
ॐ जय शिव ओंकारा , स्वामी जय शिव
ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्द्धादी धारा ।
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसासन गरुडासन वृषवाहन साहें ।
दो भुज चार चतुर्भुज दश भुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखता त्रिभुवन जन मोहे ।
अक्षरमाला वनमाला रुण्डमाला धारी ।
चन्दन मृगमद सोहे भोले शशिधारी ।
श्वेताम्बर पीताम्बर बाधम्बार अंगे ।
सनकादिक ब्रह्मादिक प्रेतादिक संगे ।
कर के बीच कमण्डल चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जग कर्ता जग हर्ता जग पालन कर्ता ।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका ।
त्रिगुण स्वामीजी की आरती जो कोई गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावे ।
ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़