साथ लेकर सारे शिकवे गिले गये
जिसको जाना था ओ चले गये।
बात पुरानी हवेली की करते हो साहब
नीव नई बखरियो के अब तो हिल गये।
शिकायत अपनों से ही रहती है सदा
कौंन गैरों के लिपटने गले गये।
चमन खाली नहीं होता 'दरिया'
यहाँ कितनों के माली बदले गये।
मज़ाल क्या बहार की जो न आये
हर कली जो चमन के खिल गये।
"दरिया"