पलकों पे #संचित रखा हैं उनका सपना;
कभी समजाता था जिनको में अपना;
अब तो वो समजते हैं हमको गैर;
पता नहीं क्यों हो गया हमसे बैर?
दिल उदास पर लबों पे रखता हूं हंसी;
उनकी खुशी में ही अब मेरी हैं खुशी;
दिल में उन्ही की यादें #संचित रखी है;
उन्ही की याद में ये कविता लिखी है;
#संचित