# कविता **
# परी ***
आपके आने से ,बहार सी आ गयी ।
वरना जिदंगी ,विरान सी लगती ।।
गर न होता गुलाब ,सा चेहरा आपका ।
तो फूलों से सूनी ,लगती जीवन की बगियाँ हमारी ।।
ये धटा है तो सही ,पर कहाँ इसमें कोई कशिश ।
मेरा सावन तो तेरी ,जुल्फों से टपकता पानी ।।
बहते झरनों की ,सुरताल सी लगे मुझको ।
जब तेरी छनकती ,पायल प्यारी ।।
आपके लबों का ,तबसुम हो जैसे ।
शबनम के छूने से ,कली खिली हो अभी ।।
प्राणों की मदहोशी ,ज्यादा मर के पैमानों से ।
जिसे देखने भर से ,नशा हो जाता है ।।
ये भोलापन और बहती ,नदियाँ सी जवानी ।
जैसे आसमान से ,परी उतर आई हो सुहानी ।।