English Quote in Story by Deeps Gadhvi

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एक दिन की बात थी जब राज़ा धीराज भगवान श्री कृष्ण ने अचानक औढव जी को बुलाया,
उनका संवाद,,,,

औढव जी-बोलीये प्रभु केसे याद किया,
कुष्ण-औढव जी मे स्वधाम जानें कि तैयारी कर रहा हूँ तो आप मेरा अंतिम संदेश राधै से कहियेगा...!!!
औढव जी-किंतु प्रभु 113 साल बित चुके हैं में राधा जी को कैसे पहचानुगा....!!!

भगवान श्री कृष्ण राधै के लिए कहते हैं अरे औढव जी गोकुल की गलियों में एक रास्ते पर आवन जावन कर रहि होंगी और दिव्य चैतना उनके मुख से प्रगट हो रही होंगी और इतना ही नहीं सारे गोकुल की गोपीओ एवम् सर्वश्रेष्ठ लग रही होगी वो मेरी राधा होगी,
हे औढव जी क्रीपा कर के शीघ्र से अती शीध्र जाईए मेरे हृदय की ज्योति बुझने से पहेले आप राधै को मेरा यह संदेश दीजिए,
औढव जी-जी प्रभु अभी जाता हूँ,मुझे आज्ञा दे...
भगवान श्री कृष्ण-यशस्वी भवः।

और यहा गोकुल की गलियों में राधा जी को कुछ आभास होता है और उन्होंने औढव जी को आके देख मनोभाव से सोचने लगी की यदि दुख का संदेश होंगा तो मुझे अडे रहेना हे,जरा सा भी भाऊक नहीं होना हे,यदि मेरा मुख भाऊकता से लगा तो औढव जी कोई बात नहीं बताएँगें और बिना कहे ही चले जाएंगे,
औढव जी-हे राधै जी मेरा प्रणाम स्वीकार करें,
राधै-प्रणाम,अब जाके आपके कान्हा को समय मिला,कितने साल बीत चुके हैं और आज दुसरी बार उनका संदेश लेकर आए हैं,
औढव जी-जी यह उनका अंतिम संदेश है की कुष्ण जी को स्वधाम जाना है और उन्होंने कहा कि हमारे विरह में व्याकुल ना हो,
राधै जी-आपका कुष्ण स्वधाम जाएँ या फिर वैकुण्ठ पर वोह हमारे दिल की ज्योति में समाए हुऐ हैं,यदि यह से तो तब नीकलेंगे जब मे स्वधाम जाऊँगी,

राधै जी का यह प्रेम भगवान श्री कृष्ण देखकर स्मीत करने लगे और बोले कि है राधै यदि ऐसा अवसर फिर मीलेगा तो हम जरुर मीलेंगे और यह कहेते हुए एक तिर बाण निकला और भगवान श्री कृष्ण की मृत्यु हुइ।

एक प्यारा संदेश इस छोटी सी कहानी मे छिपा है यदि आप जान जाएंगे तो स्वयम् को जान जाएंगे.....

प्यार हो तो राधै जैसा,
और,
इन्तज़ार हो तो मीरा जैसा,,,,,,

#ज्योति

English Story by Deeps Gadhvi : 111514752
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