Hindi Quote in Song by Manoj kumar shukla

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एक गीत वृद्धावस्था के नाम
(मात्रा भार 16)

जर्जर नाव हुई माँझी की,
कब डूबे अब कहांँ किनारा ।
एक-एक बिखरे हैं सपने,
उसका कोई नहीं सहारा।।

छोड़ चले हैं जीवन पथ पर,
अपने ही संगी साथी सब।
जन्मों के संबंध रहे जो,
तोड़ चले नाते रिश्ते अब।।

किसको आना किसको जाना,
जन्म-मरण का यही नजारा।
जर्जर नाव हुई माँझी की,
कब डूबे अब कहांँ किनारा....

जीवन का वह प्रणय निवेदन,
पीछे छूट गया है निश्चल।
यादों में फूलों की खुशबू
कर जाती है मन में हलचल।

संतापों की बजी दुंदभी,
वर्तमान ने सभी बुहारा।
जर्जर नाव हुई माँझी की,
कब डूबे अब कहांँ किनारा....

सप्तपदी की जो साक्षी थी,
गंगाजल से रिश्ते पावन ।
हंँसी-खुशी किल्लोल गूँजता,
घर आंँगन से महका उपवन।

कैसा मौसम है अब बदला,
भटक रहा बनकर बंजारा।
जर्जर नाव हुई माँझी की,
कब डूबे अब कहांँ किनारा....

आदर्शों की उंगली थामे,
कभी न भटका अपने पथ से।
कर्तव्यों की बांँह थाम कर,
खेना सीखा था बचपन से।

ले पोथी वह बाँच रहा है,
कैसे जीवन किया गुजारा।
जर्जर नाव हुई माँझी की,
कब डूबे अब कहांँ किनारा....

मनोज कुमार शुक्ल " मनोज "
8 जुलाई 2020

Hindi Song by Manoj kumar shukla : 111504431
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