#Careless may always Restless..!!
My Meaningful Poem...!!!
यारों ज़बान का वजन
होता तो हैं बहूत कम
पर ज़बान को सँभाल
भी पाते हैं बहूत कम
हाँ लफ़्ज़ोंका इस्तेमाल
भी है तो बहुत आसान
पर बोले हूएँ लफ़्ज़ को
निभा पाते हैं बहूत कम
यारों इस फ़ानी जीदगींमें
हर लफ़्ज़ मायने रखते है
पर लफ़्ज़ों के सही मायने
को समझ पाते बहूत कम
हाँ रोज़मर्रा की जीदगीं में
आसान तो बहूत है रिश्तों
के खेल से मनमानी करना
उसकी तेह़ छूते बहूत कम
चार दिवारें दिल के ख़ानों
में बना कर प्रभु ने हमें भेजा
पर हरेक खानें की बुलंदियों
तक पहुँच पाते हैं बहूत कम
अपनी छोटी-सी जीदगीं में
मीराबाई कबीर साईं नानक
ख़ामोशीकी ज़बान परख के
लफ़्ज़ों को छुएँ थे बहूत कम
✍️🥀🌲🌺🌴🖊🌴🌺🌲🥀✍️