"सपनो का किनारा"
अकेला अकेला चला जा रहा था..! में
मंज़िल की तलासमे
किनारे पर निशान अपने छोड़ के हवा से बाते करते करते, चला जा रहा था "में'
मालूम था मुझे किस्मत मेरी भी चमकेगी, एक ना एक दिन वक़्त मेरा भी बदलेगा, क्यों के मैने अपने स्वार्थ के खातिर कभी अपना रास्ता नहीं बदला..!
बरसो से वही किनारा वही निशान वही हवा, इस लिए "स्वयमभु" को मिला #सपना " का सहारा
"सपनो का किनारा"
- अश्विन राठौड
"स्वयमभु"