भोले बाबा तेरा ध्यान धरकर आज योगी बैठे है
लंबी जटा और भभुत अंग पर लगा कर बाबा
तुम्हारी मस्ती में बैठे है भोले तुम्हारे नाम का
अलख जगा कर आज भक्त तुम्हारे बैठे है
गले में माला आंखों में अंजन करके भक्ति में
तुम्हारी आज अगोरी पालथी लगा कर बैठे है
बाबा तुम्हारी कृपा पाने को सब कुछ त्याग कर
आज अवधूत अपनी मस्ती में मस्त होकर बैठे है
तन पर भस्म का श्रींगार सज कर ऐक योगी जी
बैठे है रूप तुम्हारा धर कर ऐक योगी जी बैठे है
Anil Mistri
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