सुखे पत्ते को हवाओं से क्या डर,
तुटकर अपनो से गये हैं वो बिखर;
ले जाये हवा अपने साथ या फिर,
चली जाय युंही अकेला छोड़ कर;
जीने की कोई चाह नहीं है बाकी,
अपनो को छोड़ वैसे ही गये हैं मर;
यही तो #वास्तविक जीवन है दोस्तों,
जीया तो क्या जीया अकेले जीकर;
#वास्तविक