#कुछ अधुरे से तुम
जिसे जी ना पाया,वो जिंदगी हो तुम।
जिसे जता ना पाया, फिक्र हो तुम।
कुछ अधुरी सी ख्वाहिश से तुम।
कुछ टूटी हूंई आस से तुम।
जिसे कायनात ने ठुकराया,
वो अधुरा मिलन हो तुम।
जिसे मंजिल तक ना पहुंचा सकें,
वो अधुरा साथ हो तुम।
कुछ अधुरे ईस तरह तुम मुझमे,
कुछ अधुरे ईस तरह हम तुझमें।
जैसे जमीं और आसमां,
के बीच का हो फांसला।
जो मुकंमल ना हो पाया,
उस ख्वाब से तुम।
जो कबुल ना हो पाई,
उस इबादत से तुम।
हो समुंदर की गहराई से तुम,
जानते हैं हम,
किनारों के मोहताज नहीं तुम।।
-Mamta.b