# आज की प्रतियोगिता "
# विषय .जोरदार "
#छंदमुक्त कविता "
प्रकृति का नजारा ,जोरदार था ।
आकाश में तारों का ,टिमटिमाना मन लुभाना था ।।
चाँदनी की शीतलता ,दिल को सुकून देती थी ।
तारों की बरात ,आँखों को चुराती थी ।।
चाँद की मुस्कान दिल ,को खिलखिलाती थी ।
रातरानी फूल की महक ,मन मोहती थी ।।
नदी का किनारा ,खुबसूरत दिखता था ।
पानी का स्वर ,शांत दिल लुभाता था ।।
रात में नौका सैर ,मन गद गद करती थी ।
ऐसे में तेरा साथ ,नयी उमंग देता था ।।
प्रकृति नव यौवना सी ,शरमा रही थी ।
रात की सांय सांय ,दिल दहला रही थी ।।
चाँदनी रात के हसीन ,पल खुबसूरत थे ।
उसका वर्णन करना ,निःशब्द सा था ।।
दिल कहता था ,ये पल अब कभी न बीत जाए ।
कहता बृजेश ये पल ,थोडी देर यूँ ही ठहर जाए ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।