बचपन का वह दौर ही अच्छा था,
जब ना कुछ ज़रूरत थी, न कोई ज़रूरी था।
फिर से बच्चा बना दे मुझे ऐ जिंंदगी,
कि अब चैन से सोने को जी चाहता है।
काश कि वह बचपन के वह दिन फिर लौट आते,
मां के आंचल में पूरी दुनिया से बेफिक्र हो सो जाते।
वक्त का वह दौर ही अच्छा था,
जब हमारा दिल एक मासूम बच्चा था।
अब तो हर एक का दिल स्वार्थ से भरा है,
मतलब के लिए ही हर एक रिश्ता बना है।
बचपन का वह वक्त ही सबसे अच्छा था,
जब सिर मां की गोद में और उंगली पिता के हाथ में थी।
तब कितनी ही ठोकरें खाई पर चोट कभी ना पाई,
क्योंकि सम्भालने के लिए मां और पिता सदा साथ खड़े थे।
अभी भी जरा सी चोट लगने पर हर कोई दौड़ा आता है,
मल्हम कोई नहीं लगाता बस सोशल मीडिया पर डालने हेतु वीडियो बना चला जाता है।
वाकई बचपन का वह दौर ही अच्छा था,
जब ख्वाहिशें कम थी और हर रिश्ता सच्चा था।