#Talketive /बातूनी

बहुत दिनों से वह बैठा था
घर में बस यूं ही बेकार।
ढूंढ़-ढूंढ़ कर हार गया था,
मिला न जब कोई रोजगार।

दाढ़ी पहले ही से बढ़ी थी,
बस माथे पर चंदन लेप।
स्वांग रचाया फिर साधु का,
राम रटन की लगा ली टेक।

पीपल के नीचे जा बैठा,
और जला ली धूनी।
वहां झाड़ने लगा प्रवचन,
बंदा था बातूनी।

चल निकली दूकान झूठ की,
रहा न कोई काम।
दास मलूका बोल गए हैं,
सबके दाता राम।।

Hindi Poem by Yasho Vardhan Ojha : 111475309
shekhar kharadi Idriya 4 year ago

अद्भुत सृजन शैली..

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