जाने किस दिशा मे वो पंछी उड़ गये
कुछ हवा ऐसी चली के दोंनो बिछड़ गए
साथ जिना साथ मरना था उनको
किसको पता बिछड़ना था उनको
रोज की तरहा फिर हवा से भिड़ गये
कुछ हवा ऐसी चली के दोंनो बिछड़ गए
चल सका ना जोर मौसमपे किसका
सह सके ना पंख दौर मुश्किल का
आले ऐसे गिरे के सारे पंख सीकड़ गये
कुछ हवा ऐसी चली के दोंनो बिछड़ गए
किस्मत का खेल कहे या हाथ की रेखा
उस दिन के बाद उनको किसने ना देखा
घोसले के अब तो सारे तिनके उखड़ गये
कुछ हवा ऐसी चली के दोंनो बिछड़ गए
Sagar...✍️