कोई तो होगा,जो मुझे चुनेगा
सुनायेगा अपनी पर मेरी सुनेगा
कोई परबत है कोई सागर
मै एक छोटासा कंकर
जो परबतसे निकला सागरमे बहेगा
आया हूं ऐसेही जाऊंगा नहीं
वैसे कुछभी छुपाउंगा नहीं
ढाई अक्षरका पन्ना जो सबकुछ कहेगा
जो बोले उसका सब चले
संकोच की ना बत्ती जले
मै लिखकर बोलता हूं कोई तो पढ़ेगा
Sagar...✍️