ऐ मेरे दोस्त तुम फिर से एक बार मुझसे ऐसे मिलना
जैसे पहली बारिश की बूंदों का धरती पर बरसना,
"टीना" (मिट्टी) की उस सौंधी सी "खुशबू" का चारों ओर महकना।
"पूजा" की थाली में जलती "दीपशिखा" का जैसे,
हमारे जीवन के समस्त अंधकार को हरना।
हिमालय की "शिखा" को फतेह कर लेने के लिए,
जैसे किसी पर्वतारोही का मचलना।
दिन भर की भागदौड़ के पश्चात जैसे,
किसी गृहिणी का "निशा" काल में बिस्तर पर पड़ना।
भारत की "सीमा"ओं की रखवाली के लिए,
जैसे भारत के सैनिकों का वीरतापूर्वक लड़ना।
ससुराल के आंगन में किसी नवविवाहिता की
"पायल" का पहली बार छन-छन छनकना।
रात्रि के अधंकार को दूर करने के लिए
रवि की उस प्रथम "रश्मि" का आकाश में बिखरना।
"जूली", "शाहिन", "नेहा", "प्रियंका"
"सोनाली", "मिताली"
तुम सब मुझसे एक बार फिर ऐसे मिलना,
जैसे गर्मी की "ऋतु" में तपते मुसाफ़िर को पेड़ो की "शीतल" छांव का मिलना।
मेरे दोस्तों तुम सब मुझसे एक बार फिर से जरूर मिलना...
तुम सबसे मिलने की ख्वाहिश में तुम्हारी दोस्त
"प्रज्ञा"