मुझे कहाँ आता है लिखने
मै तो बीते पल लिखता हूँ
न मै शायर हूँ, न ही शायरी
न ही कोई गजल लिखता हूँ
मै तो मुसाफिर हूँ जिंदगी का
गुजरा हुआ कल लिखता हूँ
इश्क़, मोहब्बत, प्यार को छोड़ दर्द
ज़माने का मै आजकल लिखता हूँ
देखता हूँ जो मै अपनी जिंदगी मे
वही ख़ुशी, वही गम के पल लिखता हूँ
#कीमती