कविता "
# यादें ..
सुहानी यादें ,देकर चल देना है ।
फूल सी महक ,बिखेर कर चल देना है ।।
सभी के दिल में ,यादगार बन चल देना है ।
सभी की आँखों का तारा ,बन कर चल देना है ।।
कुछ दुसरों के लिए ,सज कर चल देना है ।
मानवता का नाता ,निभा कर चल देना है ।।
लेखनी से इतिहास ,लिख कर चल देना है ।
दोस्तों को हसीन ,यादें देकर चल देना है ।।
जमाने में कोई भी ,पराया नहीं है ।
सबको अपना बना कर ,चल देना है ।।
मैं रहूँ या न रहूँ ,पर दोस्तों की निगाह में बस कर चल देना है ।
मैं तो हर पल तुम्हें याद करुंगाँ दोस्तों ।।
तुम्हें अपना बना कर ,चल देना है ।
जीवन का कोई भरोसा ,नहीं यारों ।।
सुदंर दिल का आईना ,बता कर चल देना है ।
कहता बृजेश मैं नहीं रहूँ ,तो पल आंसू बहा लेना ।।
पर तुम्हें सदा महकता ,देख कर चल देना है ।
कुछ रिश्ता अच्छा सजा कर चल देना है ।।
आपका अपना बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात।