दिल ए यार की , दिल में तमन्ना दस्तुर है
महोबत में मिटा देना, दिल को अब मंजूर है
हसरतों का होना वाजिब है, जिंदगी में यार
राहे वफा चल देना , दिल को अब मंजूर है
आईना तु ,दिदार ए यार भी , दरबार भी तु
अंजुमन सजा़ये रहेना ,दिल को अब मंजूर है
ख्वाब ओर खयाल, दिन ओर रात एक तुही
वक्त के साये में रहेना, दिल को अब मंजूर है
होश कहाँ फुरसत कहाँ, व क्या है दिल आरजू
दिल दिल्लगी मे रहेना, दिल को अब मंजूर है