एक ओर एक ही, मगर दो में फासला जरुर है
है पानी की बुंद भाँप , मगर फासला जरुर है
जीस्म ओ जाँन से , जुड गए रिस्ते दुनियादारी
रुह से रुह मिले ना ,जिस्म का फासला जरुर है
मिले ना मन से कभी, बिछडती रही है परछाई
रुहानियत में मिट ना जाये तो,फासला जरुर है
है कहाँ दुरियाँ ,अपनेपन का अहेसास हो हरदम
वज़ह और वजुद मिट ना जाये, फासला जरुर है
हमारी फितरत है फना हो जाना बस हकीकी में
नूराना कोइ नजरे हाल नही है, फासला जरुर है