तेरी ये गली, लगे कितनी बदली
भोर भी यँहा लगे श्याम सी ढली
कभी मुझे दीवाना, पागल तुझे कहते है
नाम मेरा लेकर लोग जिक्र तेरा करते है
बात जब भी यँहा, अपने प्रीत की चली
ये तेरी गली,लगे कितनी बदली
भोर भी यँहा लगे श्याम सी ढली
कसूर है किसका और किसकी है खता
अब होना है क्या,गर चल जाए भी पता
फूल बनके कांटेको छोड़ जाती है कली
ये तेरी गली, लगे कितनी बदली
भोर भी यँहा लगे श्याम सी ढली
वक़्तसे लड़कर हम समय के साथ थे
लेकिन कितने कमजोर तेरे जस्बात थे
मांगकर वफ़ाए तूमने बेवफाई चुनली
ये तेरी गली, लगे कितनी बदली
भोर भी यँहा लगे श्याम सी ढली
Sagar...✍️