****शरुआत****
आज फिर से एक नई शुरुआत कर जाऊं,
जिंदगी के रास्ते पे अकेला ही चलना सिख जाऊं.
कभी टुट जाऊं तो खूद ही संभल जाऊ,
कभी रुठ जाऊं तो खूद ही मान जाऊं.
खुद का रास्ता खुद ही बनालु अपने लिए जी पांऊ,
खुद कि खुशी या खुद ख़ोज लाऊं मैं आज ऐसी बन जाऊ
जो साथ नहीं उसे भुल जाऊं पैरों पर अपने खुद चलना सीख जाऊं,
कभी लाचार और बेबस ना कहेलाऊ एक नई शुरुआत कर जाऊं.
जो था नहीं मेरा उसे क्या उम्मीद अब लगाउ,
अब ना किसी पर बोझ बन के रह जाऊं.
अब ना किसी की जिम्मेदारी बन के रह पाऊं,
खुद कि जिम्मेदारी खुद ही उठाउ एक शरुआत ऐसी कर जाऊं.
✍️ Aradhya ba