उटी पोहोचते हि मेरे अंदर का फोटोग्राफर जाग गया था भइ !
निलगिरी कि मेहेक वेसे हि तन-मन को तरो ताज़ा कर देती है केहते है शादी ब्याह मे मेहेन्दी मे निलगीरी इसी वजह से डालते है क्योंकि शादी कि भागादोडी मे भी थकान ना हो तो हमे तो उटी थका सकता था नही!
निलगीरी के घने पेडो के बिच बसा उटी मेरे मेरे दिल मे भी बस रहा था मेरे आँखो के सामने खुबसुरती की एक नइ परिभाषा दिखा रहा था, एक मन-मोहक दृश्य मुजे अपने बारे मे ओर जानने के लिए व्याकुल कर रहा था,
उटी पोहोचते ही हमारा सामन एक होटेल मे रखवा दिया गया पापा ने श्रीनिवास से दोस्ती कर लि थि तो तिन-चार होटेल मे से हमे जो सबसे बढिया लगा वो हमने रख लिया ए बात जरुर अजीब लगी के होटेल मे कही एसी तो छोडो पंखे तक नहीं थे वो तो रात को जब पारा 15 डिग्री पोहचा तब पता चला के एसा क्यों है, एक छोटे से खुबसुरत से रेस्ट्रां मे हमे ले के गए हम ने देखा तो साथ मे नोन वेज था हम बिना कुछ कहे वहा से निकल गए
ये जो दुसरा विडिओ है ना वो वही के बहार का है
वहा से उटी के रंगबेरंगी घर कसाटा आइस्क्रीम जेसे लग रहे थे बस चम्मच लो ओर मज़े से खाने लगो आपने शायद आपने कुछ कुछ होता है देखी हो तो उसमे रानी मुखर्जी केसे चुनर से खेलती है तब केसा लोकेशन होता है जि हा! बिलकुल कुछ वेसा हि था मे भि चुन्नर से खेल ने लगी मेरे मा-पापा को मेरी दिदि कि याद आ गइ आखे नम हो गयी, उसे भी तो पहाड जरने सागर बेहद पसंद थे लेकिन किसी कारणवश वो हमारे साथ नही थी,
हमारा मन केसा अजीब हे ना खुशी के समय मे भी दुखी हो ने कि वजह ढूँढ लेता है, जो पास है उसके साथ खुश रेहने के बजाए जो पास नही उसके लिए दुखी ओर मायुस रेहते है !
जो तिसरा फोटो है वो है उटी लेक का मुझे वेसे तो पेड,पोधो ओर फ़ुलो के बारे मे ज़ादा समज है नहीं पर यहा तो तरज तरह के फ़ुल थे एक देखो तो एक भुलो वेसे फ़ुलो का शेहेर था पुरा ओर जो लेक था वो बना था उटि के ड्रेनेज माने गटर के पानी से जि सही पढ़ा गटर के पानी का तालाब वो भी अत्यंत मनमोहक ! वही पे एक छोटी सि नर्सरी थी पेहला विडिओ जो आधा है वहि पे मेने निकाला था पुरा मे बाद मे स्टोरी मे उपलोड कर कर रही हू, जो रंग मागो उस रंग कए फ़ुल,थोर, पत्ते, छोड़ सब थे इतनी वराइटी कभी नही देखी थी, हमने वहा से कुछ फ़ुलो के बिज खरिदे,
शाम होने मे अभी समय था हमारी सवारी बोटनिकल गार्डन जाने वाली थी ओर ज़ादा अचंबित होने