आंखें सब बयान करती है।।
इश्क-ए-ख्वाब-ई-दुनिया , फिर से सजाना चाहती है ये नज़रे!!
मीता कर वो तस्वीर , नए तस्वीर दीवालो पर, लगाना चाहती है ये नज़रे!!
भुला चुकी है वो सब यादे, "जूठा ऐतबार-ए-बयान" करती है ये नज़रे!!
लेकिन....
दिल से नहीं
निकली तो .... सिर्फ उस शख्स की "वफा-ए-मोहोबत" !!
हर वक़्त "बयान-ए-इज़हार"!!
करती गई ये नम आंखे।।
Alfaz-E-Suhana ✍️✍️