आज की प्रतियोगिता "
विषय .जरुरतमंद "
विधा .कविता "
जरुरत जरुरतमंद की ,पहचान है ।
संसार में सभी ,जरुरतमंद होते ।।
किसी को खुबसूरती ,की जरुरत होती ।
किसी को धन की ,जरुरत होती ।।
किसी को हैवानियत की ,जरुरत होती ।
किसी को गद्दारी करने ,की जरुरत होती ।।
किसी को बडे पद प्रतिष्ठा ,की जरुरत होती ।
किसी को रुपवती ,पत्नि की जरुरत होती ।।
किसी को धर ,पुत्र ,पुत्रियों ,की जरुरत होती ।
किसी को लोभ ,लालच ,चुगली की ,जरुरत होती ।।
जमाने में सबकी ,अलग अलग जरुरत होती ।
जरुरत पुरी करने ,मानव कोई भी प्रयत्न करता ।।
जरुरत ही मानव ,को जिन्दा भी रखती ।
जरुरत पुरी न होने पर ,मानव हत्या भी कर देता ।।
जरुरत सीमित हो तो ,जीवन महकता ।
कहता बृजेश अगर जरुरत पर कंटौल नही ,किया तो वही मानव को खा जाती ।।
बृजमोहन रणा (बृजेश ) ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।