#ज़रूरतमंद
छोटे शहरों की खासियत होती है लोग एक - दूसरे के बारे में सब जानने लगते हैं। नई नौकरी थी उसकी। अच्छे घर से होने के बावजूद इन दिनों थोड़ी दिक्कत में थी वो, पति की नौकरी जो छूट गई थी और जैसा कि होता है, ऑफिस में भी सबको खबर थी इसकी।
स्वभावत: पूरे मनोयोग से काम करती वो। पर शाम होते ही अपने छोटे बच्चों के लिए बेचैन हो जाती। और जल्दी से काम निपटा कर निकल जाती। आज भी हड़बड़ी में आने लगी थी वो, क्योंकि शाम हो रही थी। तभी साहब ने फरमान सुनाया कि एक और फाइल का काम पूरा करके ही निकलना है।
उसकी एक सहयोगी निकल रही थी उसी समय। उसने भी जाकर अपनी समस्या रखी सीनियर के सामने।
सपाट सा चेहरा लिए सीनियर का उत्तर था - " काम तो करना ही पड़ेगा ना, आपको तो अभी जरूरत भी है नौकरी की। उनका क्या है पति अच्छा कमा रहे हैं। "
एक क्षण के लिए स्तब्ध रही वो , फिर मजबूती से कहा - " ये मेरी नौकरी है, इसमें आप काम के आधार पर निर्णय लें ना कि पारिवारिक आधार पर। निकल रही हूं मैं। आज का मेरा काम पूरा हो चुका है।"