#ज़रूरतमंद
है यहाँ खुशनसीब चंद ही
बाकी तो लगता जीवन सबका जरूरतमंद सा है
मन में सबके सर्वज्ञता का भ्रम सा है,
ज्ञान में भी अब यहाँ कुछ तो अहं सा है,
सबको लगता हर कुछ यहाँ स्वयं सा है
मन में सबके बैठा कुछ तम सा है ।
ना यहाँ कुछ उतम सा है
है अब भी खाली एक कोना सबके मन का
सब यहाँ जरूरतमंद सा है ।।
-----अमित RAJ------