नैन दंश
चुभते हैं कटीले कांटों से
कुछ नैन दंश से भारी हैं!
उपभोग किया और फूंक दिया
सामान से बद्तर नारी हैं !!
क्या बाली और क्या बाल उमर
मद में डूबे सब मानव हैं....
दो दिव्य नेत्र हम जान सकें
आस्तीन में कितने दानव है..
किस घड़ी है पूनम उजयाला
किस पल ये अमावस कारी है!
चुभते हैं कटीले कांटों से
कुछ नैन दंश से भारी हैं!
छोटे वस्त्रों पर मान भी लूं
चलो नर देव अपनी मैं भूल....
जब लुटे अस्मिता ढकी हुई
डालूं कैसे गलती पर धूल....
कुकर्म करने वाले तेरी
सदा शर्मसार महतारी है।
चुभते हैं कटीले कांटों से
कुछ नैन दंश से भारी हैं!
पीछा करती हुई नजरों ने
तन पूरा ही झुलसाया है ...
कलयुग में केवल रावण हैं
या रघुवर का भी साया है ...
गर हैं कोई संहार करे
देखूं मैं कौन उपकारी है!
चुभते हैं कटीले कांटों से
कुछ नैन दंश से भारी हैं!
उपभोग किया और फूंक दिया
सामान से बद्तर नारी हैं !!
सीमा शिवहरे सुमन