#आज की प्रतियोगिता "
# विषय .शरारती "
# कविता "
निगाहें बहुत ,शरारती होती ।
निगाहें चुपके ,चुपके देखती ।।
निगाहें चुपके से ,अपना बना लेती ।
निगाहें पल में ,दिल लुट लेती ।।
निगाहें इशारों ,में बात करती ।
निगाहों का मारा ,पानी भी नहीं मागता ।।
निगाहें शरारत से ,धायल करती ।
निगाहें प्रेम की ,भाषा समझती ।।
निगाहें किसी पर ,भी फिदां हो सकती ।
निगाहें प्यार करके ,बहुत रोती ।।
निगाहों की चतुराई ,कोई समझता नही ।
कहता बृजेश निगाहों की ,शरारत बहुत भारी पड़ती ।।
बृजमोहन ( बृजेश ) ,कश्यप ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।